Sunday 18 February 2024

खुलकर जीने का अधिकार है मेरा मानवाधिकार: ग्रामीण किशोरी

 अगर हमें जीवन में आगे बढ़ना है तो जीवन में ऐसा कोई होना चाहिए जो हमें सही गलत समझा पाए, सही जानकारी दे पाए और हमारा मार्गदर्शन कर पाए।

खुशीपुरा गांव से कुछ ही दूर स्थित दादो के प्रकाश इंटर कॉलेज में मानवाधिकार जागरुकता अभियान को लेकर साहस टीम पहुंची। दादो में इतना बड़ा, अच्छे रख रखाव और छात्र-छात्राओं के कोलाहल से भरापूरा स्कूल देखकर बहुत अच्छा लगा। अक्सर ग्रामीण अंचलों और उससे सटी जगहों पर लड़कियों के मुकाबले लड़कों की संख्या ज्यादा दिखाई देती है लेकिन यहां परिस्थिति बिलकुल अलग रही।

स्कूल में अंदर कदम बढ़ाते हुए प्रिसिंपल ऑफिस पर नजर पड़ी तो वहां का दरवाजा बंद था, लेकिन सामने का नजारा देखकर मन और खुश हुआ। प्रिसिंपल सर बाकी शिक्षकों के साथ मिलकर धूप में मेज और कुर्सी लगाए बोर्ड के कामकाज में जुटे हुए थे। प्रिसिंपल सर ने तुरंत कक्षा 8वीं और 9वीं की छात्राओं को बुलाने के लिए कह दिया। इतने में एक युवा शिक्षक ने हमारे काम के बारे में पूछा, हमारा जवाब सुनकर वो बहुत खुश हुए (ऐसा बहुत कम होता है)। शिक्षक का कहना था कि कई अहम बातों की जानकारी किशोरियों को होनी चाहिए लेकिन खुद के जेंडर की वजह से उन्हें काफी झिझक महसूस होती है ऐसे में वो जरुरी जानकारी नहीं दे पाते। हमारे काम को सराहते उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में जिस प्रकार से लोगों में बंटवारा हो रहा है ऐसे में संविधान को समझना और अपने जीवन में उतराना बहुत ही जरुरी हो गया है।



नए स्कूल में खुले दिल से स्वागत ने साहस टीम को वर्कशॉप के लिए काफी प्रोत्साहित किया। मानवाधिकार पर आधारित कार्यशाला में प्रकाश इंटर कॉलेज की तकरीबन 100 छात्राओं ने बढ चढ़ कर हिस्सा लिया। सत्र की शुरुआत संक्षेप में परिचय देते हुए, सहमतियों पर चर्चा और सिक्के के खेल से की गई। ये पूछने पर कि मानव में कौन कौन सी खूबियां होती है, उनके जवाब कुछ इस प्रकार रहे – जिसका अच्छा व्यवहार हो, जो दूसरों का आदर और सम्मान करता हो, ईमानदार, होशियार, सच बोलने वाला, खुश मिजाज, मददगार, सच बोलने वाला और संवेदनशील।




इन खूबियों को पाने, बढ़ाने और सुरक्षित रखने के लिए मनुष्यों को निम्नलिखित चीजें चाहिए – माता पिता का साथ, कपड़े, आर्थिक स्थिति मजबूत होनी चाहिए, शिक्षा का अधिकार, खुद पर विश्वास, अच्छा स्वास्थ्य, सूचना का अधिकार, खाना।

समय भी होना चाहिए। स्कूल में तो पढ़ाई का समय मिल जाता है लेकिन घर में मां का काम में हाथ बंटाना होता है तो पढ़ने का उतना समय नहीं मिल पाता। थकान भी होती है – अगर थोड़ा और समय मिले तो हम भी होशियार हो जाएंगे और बेहतर नम्बर आएंगे।





इन्हीं बिंदूओं को ध्यान में रखते हुए छात्राओं को समूह में बांटा गया और सभी को एक एक सवाल पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया गया।

खुशी से जीने के लिए मानव के पास कुछ चीजें होनी चाहिए जैसे भोजन, कपड़े, संस्कार, आर्थिक स्थिति, अपने जीवन को अपने तरीके से जीने का अधिकार। मुश्किल से जीने का मतलब है कि हम अशिक्षित रह जाएं, हमें जानकारी न हो।

अगर हमारे माता पिता हमें अच्छे से पढ़ा सके, खिला सके और पैसों की कमी न हो तो जीवन खुशी से भरा होता है। वहीं पढ़ाई के लिए पैसे नहीं हो, घर में परेशानी आ जाए तो इसी को मुश्किल से जीना माना जाएगा।





सभी मानव बराबर नहीं है क्योंकि सभी की सोच अलग अलग होती है, रहन सहन अलग होता है, कोई खुद पर घमंड करता है तो कोई सभी के साथ मिलकर रहता है। सभी मनुष्यों को एक दूसरे की इज्जत करनी चाहिए। जो हमारे साथ जैसा व्यवहार करें हमें भी उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए।

हमें नहीं लगता कि सभी मानव बराबर होते हैं, कई लोग बुरे भी होते हैं। कुछ लोग हमारा बुरा चाहते हैं, हो सकता है वो हमारे आसपास रहते हो या फिर हमारे करीबी हों। हमें अपने माता-पिता और बड़ों के साथ साथ अपने छोटों का भी आदर करना चाहिए।  

अच्छा मानव – संवेदशनशील, सच बोलने वाला, ईमानदार होना चाहिए – इनकी इज्जत करनी चाहिए। बुरा इंसान वो होता है तो किसी का दुख नहीं समझता, किसी की इज्जत नहीं करता, झूठ बोलता है, जाति को लेकर भेदभाव करता है, जिसे अच्छे बुरे इंसान की पहचान न हो। ऐसा इंसान होने का क्या मतलब है। अगर गलत इंसान के साथ हम वैसा ही व्यवहार करें तो हममें और उसमें क्या फर्क रह जाएगा






जब हम खुशी से जीते हैं तब हमें किसी भी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता। लोगों की नजरों में हमारा सम्मान होता है। खुशी से जीने में जिंदगी अनमोल बन जाती हैं। वहीं मुश्किल से जीवन जीने में ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है। बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय में हम अपनी इच्छाएं पूरी नही कर पाएंगे।

इस अहम बात को आधार बनाकर ये तय किया गया कि मानव को गरिमा से जीने के लिए कुछ अहम बातों और खूबियों की जरुरत होती है – जो परिस्थितियां या चीजें मनुष्य को इज्जत और खुशी से भरी जिंदगी जीने के लिए चाहिए वो सभी चीजें हमारे अधिकार से जुड़ी हुई हैं।





अधिकार पर बातचीत करते हुए किशोरियों ने कहा कि अगर उनके साथ कुछ गलत हो तो वो उसके खिलाफ आवाज उठा पाए इसका अधिकार उनके पास होना चाहिए, जैसे वो चाहे वैसे कपड़े पहन पाएं, अपनी मर्जी से घूमना, पढ़ाई करना, पसंद का जॉब करना और खाने पीने की आजादी से जुड़े अधिकार होने चाहिए। किशोरियों के जवाब बिलकुछ बता रहे थे कि वो अपने जीवन में हो रहे जेंडर आधारित भेदभाव का अनुभव कर रही हैं और साथ ही उसे समझ भी रही है।

सत्र के अगले हिस्से में किशोरियों ने मिलकर मानवाधिकार की परिभाषा तय करते हुए कहा कि समानता का अधिकार, जीवन जीने का अधिकार, स्वतंत्रता और शिक्षा का अधिकार मानवाधिकार में शामिल है जो हर इंसान को मिलने चाहिए। छत पर खुले में होने के बावजूद भी हमने अलग अलग समूहों में किशोरियों को मानवाधिकार समझाने के लिए एक वीडियो दिखाया।



दो घंटे के अंतराल में एक नए स्कूल में 100 किशोरियों के साथ मानवाधिकार पर चर्चा करते हुए बहुत अच्छा महसूस हो रहा था, उम्मीद है हम इस चर्चा के साथ साथ और भी अहम मुद्दों पर चर्चा जारी रखेंगे।

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