Sunday, 18 February 2024

स्कूली छात्र-छात्राओं ने तैयार किया मानवाधिकार का खाका

 यदि मानव अपने जीवन को खुशी खुशी गुजारता है तो उसे किसी भी प्रकार का मानसिक तनाव नहीं होता है। लेकिन किसी मानव के जीवन में दुख न आए तो उसे कठिनाइयों से लड़ने का साहस नहीं होगा। कठिनाइयों को पार करके ही मनुष्य को संघर्ष का अनुभव मिलता है।

मानवाधिकार को लेकर चलाए जा रहे साहस फाउंडेशन के जागरुकता अभियान का अगला पड़ाव ककराली गांव स्थित सीपीएस पब्लिक स्कूल रहा। इस कार्यशाला में 38 छात्र-छात्राओं ने खुलकर हिस्सा लिया। इस स्कूल में हमारी ये दूसरी वर्कशॉप हैं, इसलिए जैसे ही हम स्कूल पहुंचे वैसे ही छात्र-छात्राओं ने हमें घेर लिया और तमाम तरह के सवाल पूछ लिए। ये दिन खास इसलिए भी रहा क्योंकि स्कूल में बोर्ड के छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम की तैयारी हो रही थी, वहीं वसंत पंचमी के उपल्क्ष्य में रंगोली और सरस्वती वंदन भी रखा गया।



कार्यशाला की शुरुआत परिचय और सहमतियों के साथ की गई। उल्टा पुलटा खेल को विद्यार्थियों ने बखूबी खेला और उनकी हंसी ने वर्कशॉप के आने वाली चर्चा के लिए मंच सजा दिया। सत्र के पहले हिस्से में किशोर-किशोरियों से जब पूछा गया कि मानव की खूबियां क्या होती है तो कुछ देर के लिए चुप्पी साध ली, लेकिन तुरंत ही वो जवाब मिलने लगे जो अक्सर अध्यापक समझाते हैं कि अच्छे गुण होने चाहिए, आदर करना चाहिए और अच्छे संस्कार होने चाहिए। लेकिन ये अच्छे गुण और अच्छे संस्कार क्या है – पूछने पर थोड़ी उथल पुथल मची जिसने हमारे एक आसान से सवाल के अनेकों जवाब दे डाले।




सही-गलत में पहचान कर पाए, जिसे खुद का मनोरंजन करना आता हो, जो जिंदगी को जीना जानता हो, समझदार, महत्वकांक्षी, नियम का पालन करने वाला, ज्ञानी, मेहनती, लक्ष्य की ओर लगातार प्रयास करने वाला।  




इन खूबियों के लिए मानव की जरुरतों पर प्रतिभागियों ने जवाब दिया, माता पिता का साथ मिले, टीचर हो, समय मिलना चाहिए, समय पर खाना, जीवन जीने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार – लड़कियों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिलता, स्कूल में अगर लड़की पढ़ती है तो फिर भी मिल जाता है लेकिन जब हम घर जाते हैं तो पढ़ाई करने का उतना मौका नहीं मिलता क्योंकि घर के काम-काज में हाथ बंटाना पड़ता है और आज भी हमारे समाज में ऐसे लोग हैं जिन्हें लड़कियों का पढ़ना अच्छा नहीं लगता।





इसके बाद प्रतिभागियों को समूहों में बांटा गया और एक एक परिस्थिति देकर उसपर चर्चा करने के लिए कहा।

एक मानव होने का मतलब है कि उसे अपने जीवन में संघर्ष के साथ जीना आना चाहिए क्योंकि जब भी कोई व्यक्ति अपने जीवन में आगे की ओर बढ़ता है तो ये समाज उसे आगे नहीं बढ़ने देता। इसके साथ ही उसके पास अधिकार भी होने चाहिए।

मानव को अपने परिवार के बीच खुशी मिलती है, माता पिता नहीं होने पर बहुत दुख होता है। दुख तब भी है जब उसके पास कोई सहारा नहीं हो, उसके दिल में गुरु का ज्ञान न हो। हमें बचपन में खुशी का अनुभव होता है लेकिन बड़े होकर हमें दुखों का सामना करना पड़ता है।

एक मानव में अच्छाई और बुराई दोनों होती है। हमें किसी के साथ गाली गलौच नहीं करनी चाहिए। बड़ों के साथ साथ छोटों के साथ भी आदर और सम्मान की भावना रखनी चाहिए। कभी भी किसी गरीब का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।





हमें सभी की इज्जत करनी चाहिए, जाति-धर्म, अमीर हो या गरीब किसी में फर्क या भेदभाव नहीं करना चाहिए। हम सभी को समानता का अधिकार मिला है इसलिए सभी का सम्मान करना चाहिए।

एक मानव होने का यह मतलब है कि एक दूसरे की समस्या को समझे और उसकी मदद करें। खुशी से जीने का मतलब ये है कि उसके पास रहने के लिए आवास, खाने के लिए खाना, पहनने के लिए कपड़े और धन होना चाहिए। मुश्किल से जीवन गुजारने का मतलब ये है कि इंसान को जीवन जीने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है, उसे शिक्षा नहीं मिल पाती, नाहि वो अच्छे कपड़े पहन पाता है और उसके पास धन का अभाव होता है।

सभी मानव बराबर नहीं है, क्योंकि सभी की खूबियां अलग अलग होती है। लड़का और लड़की में समाज में भेदभाव किया जाता है। हमें उनकी इज्जत करनी चाहिए जो हमारी इज्जत करते हैं।





प्रतिभागियों ने कई अहम बिंदूओं को छुआ – जहां ये बात साफ हो गई कि समाज में लड़का लड़की के बीच गैरबराबरी को ये देख पा रहे हैं, कहीं न कहीं आर्थिक परिस्थिति और जाति के आधार पर हो रहे भेदभाव को भी देखते और समझ रहे हैं। इन्हीं को लेकर हमने चर्चा को अधिकारों की तरफ मोड़ा।

अधिकार शब्द सुनकर प्रतिभागियों के मन में जो बातें आती है वो है – लड़का और लड़की में फर्क नहीं होना चाहिए, समानता का अधिकार, जाति को लेकर दूसरों का अपमान नहीं करना चाहिए, शिक्षा का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, लड़कियों को घूमने का अधिकार, खेलने का अधिकार, खुलकर अपनी बात रखने का अधिकार और अपने जीवन को जीने का अधिकार।



इसके बाद छात्र-छात्राओं ने मिलकर मानवाधिकार की परिभाषा तया की। सत्र की समाप्ति एक 3 मिनट के वीडियो को दिखाकर की गई जहां मानवाधिकार और हमारे संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों पर रोशनी डाली गई।

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