“कुछ बातें...कुछ चीजें कभी समाप्त नहीं होती...क्योंकि
आप का एक अंश...एक बीज...कुछ भावनाएं...थोड़े ख्याल वहां हमेशा के लिए बस जाते हैं...छूट
जाते हैं”
पानीपत के ‘हाली अपना स्कूल’ में साहस द्वारा आयोजित
जेंडर, यौनिकता और प्रजनन स्वास्थ्य कार्यक्रम का समापन पहले आयोजित बाकी सभी
कार्यक्रमों से बहुत अलग रहा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि यहां पर काम करने का अनुभव और
उससे जुड़ी भावनाएं बहुत अलग और आत्मीयता से ओत-प्रोत रही।
इस सत्र की शुरुआत अलग अलग मुद्दों- पहचान,
शारीरिक बदलाव, जेंडर, बाल यौन शोषण आदि पर हुई चर्चा और जानकारी को दोहराने और
उसपर आधारित सवाल-जबाव से की गई। साहस के काम का एक अहम हिस्सा ये भी है कि जिन
मुद्दों पर हमने जागरुकता और समझ बनाई है वो वन टाइम नहीं हो यानि ये बातचीत केवल
हमारी कार्यशालाओं तक सीमित न रहें- इसलिए प्रतिभागियों की भागीदारी, उनके अनुभव
और कैसे वो एक दूसरे का सहयोग करते हैं को ध्यान में रखते हुए 8 जेंडर दोस्त और
लीडर का चुनाव किया और चार समूह बनाए गए।
इसके बाद प्रतिभागियों को अपना जेंडर लीडर चुनने
के लिए आमंत्रित किया गया और फिर सभी ने मिलकर अपने-अपने समूह को एक नाम दिया।
अमूमन इस सत्र में प्रतिभागियों से मूल्यांकन फॉर्म भरवाया जाता है ताकि पता चल सके
कि इन मुद्दों पर उनकी क्या समझ बनी है, लेकिन इस बार हमने उन्हें इन मुद्दों पर
अपनी समझ को दर्शाने के लिए कुछ करने का निमंत्रण दिया- यानि कि वो चाहे तो कोई
कविता, कहानी, लेटर, नाटक इत्यादि तरीका अपना सकते हैं।
ये एक्टिविटी कैसे जाएगी, इसका कोई अंदेशा नहीं
था पर प्रतिभागी जिस तरह से तैयारी कर रहे थे वो काबिल-ए-तारीफ़ था मानो फाइनल
एक्ज़ाम की तैयारी हो। सभी समूह स्कूल के अलग-अलग भाग में जा चुके थे, कुछ लिख रहे
थे, कुछ बातें कर रहे थे, और हां ऐसा लगा कि वो नाटक प्रस्तुत करने वाले हैं।
तो हां अब समय आ गया था प्रस्तुतीकरण का। पहले
समूह ने नुक्कड़ नाटक के जरिए बाल यौन शोषण की समस्या से रुबरु कराया- उन्होंने
दिखाया कि एक परिवार का करीबी दोस्त 11 साल के बच्चे को गलत तरीके से छूने की
कोशिश करता है, वो बच्चा डर जाता है लेकिन फिर हिम्मत करके अपने पिता से बात करता
है। पिता के बात अनसुनी करने पर वो अपनी मां को बार बार बताता है जिसपर उसकी मां न
केवल उसे समझती है पर दोषी आदमी के खिलाफ़ कार्रवाई भी करवाती है। इस नाटक के आखिर
में उन्होंने बाल यौन शोषण से जुड़ी जानकारी भी दी।
दूसरे समूह ने महावारी पर आधारित नाटक प्रस्तुत
किया जहां दिखाया गया कि पहली बार पीरियड्स होने पर एक छात्रा घबरा जाती है, घर
पहुंचने पर वो समझ नहीं पाती है कि क्या करें? ऐसे में उसकी मां महावारी से जुड़ी पूरी जानकारी
उसे देती है और उसे प्यार करती है। वहीं जब उसके पिता उसे अपवित्र कहते हैं, किचन
में और पूजा घर में जाने से मना करते हैं तो भी उसकी मां अपने पति का विरोध करती
है और उन्हें समझाती है।
तीसरा नाटक महावारी और उससे जुड़ी मिथक बातों पर
आधारित रहा- इस नाटक में दिखाया गया कि कैसे एक लड़की के महावारी होने पर उसके
दोस्त उसके साथ खेलने से मना कर देते हैं। गांववाले लोग उसे अलग रहने को कहते हैं,
उससे किसी को मिलने नहीं थे, अपवित्र कहते हैं और दुर्व्यहार करते हैं। लेकिन वहीं
एक किशोर जिसने स्कूल में महावारी पर आधारित क्लास अटेंड की थी, वो गांववालों और
बच्चों से बात करता है और समझाता है कि महावारी एक शारीरिक बदलाव है और इसमें
पवित्र और अपवित्र कुछ नहीं होता।
चौथा और आखिरी नाटक सबसे अहम और बेहद मनोरंजक
रहा – यहां प्रतिभागियों ने पहले दिखाया कि कुछ लड़के एक लड़की को बार बार छेड़ते
हैं वो काफी परेशान रहती है। एक दिन जब वो लड़के किशोरी को छेड़ते हैं तो बाजार जा
रही महिला उन लड़कों को डांटती है और पुलिस में शिकायत भी करती है। दूसरे सीन में
उन्होंने दिखाया कि उनके स्कूल में शारीरिक बदलाव और यौन शिक्षा पर आधारित अलग अलग
क्लास आयोजित की जा रही है।
इस नाटक की कई अहम बातें रही – मसलन उन्होंने
दिखाया कि कैसे एक महिला छेड़खानी रोकने के लिए मदद करती है नाकि एक पुरुष। वो
दिखाना चाहते थे कि महिला और पुरुष दोनों ही ताकतवर होते हैं और बहुत जरुरी है कि
महिलाएं भी हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाए। दूसरे सीन में टीचर (जो एक समूह की जेंडर
लीडर भी है) ने बेहतरीन तरीके से शारीरिक बदलाव, बाल यौन शोषण, महावारी और सेक्स को
समझाया, इसके साथ ही छात्रों ने बड़े अच्छे सवाल पूछे।
और इन सभी प्रस्तुति को देखकर मेरे मन ने एक अलग
तरह की शांति का अनुभव किया, विचार आया कि अब समय हो गया है यहां से अलविदा कहने
का क्योंकि अब जिनके हाथ में जानकारी की कमान है वो पूरी तरह तैयार हो चुके हैं।
good job madam & I salute you.
ReplyDeletei want to tell you i am feminism and I am pursuing Master in Gender Development and I want to join with you.....
My Email ID is ashokrsldc@gmail.com