साहस के ‘जेंडर, यौनिकता और प्रजनन स्वास्थ्य’ कार्यक्रम के तहत सबसे अहम
सत्र ‘बाल यौन शोषण’ पर आधारित होता है। जेंडर
आधारित हिंसा का सबसे पहला और सबसे भयानक रुप बाल यौन शोषण होता है, ऐसा इसलिए
क्योंकि बच्चों को पता ही नहीं होता कि वो इस हिंसा के लिए “नहीं” बोल सकते हैं, उन्हें समझ
में नहीं आता कि उनके साथ हो क्या रहा है? हमारे
शरीर और समाज की भ्रांतियों, टेढ़ी मेढ़ी प्रथाएं किशोर-किशोरियों को और असमंजस
में डाल देती है। इसी के मद्देनजर बाल यौन शोषण पर समझ बनाने से पहले हम शारीरिक,
मानसिक और सामाजिक बदलावों पर बातचीत करते हैं, इस जानकारी के साथ साथ हम
प्रतिभागियों के लिए सुरक्षित जगह बनाते हैं ताकि वो बिना किसी झिझक, डर या शर्म
के अपनी बातें, सवाल, कहानियां, कन्फूयजन बांट पाएं।
बाल यौन शोषण पर आधारित सत्र की शुरुआत “भेड़ और भेड़िए” के खेल से की गई जहां
लड़के और लड़कियों ने खुलकर भाग लिया, और बड़ी ही फुर्ती से अपने आप को भेड़िए के
चक्रव्यू से निकाला।
ये सत्र काफी गहन, संवेदनशील और जरुरी होता है
इसलिए कार्यशाला शुरु करने से पहले हमने एक बार फिर वर्कशॉप को सुरक्षित जगह बनाने
के लिए नियम दोहराए। इसके बाद चाइल्ड लाइन की फिल्म “कोमल” के जरिए सुरक्षित और
असुरक्षित स्पर्श को समझा।
बाल यौन शोषण को और गहराई और उससे जुड़ी भावनाओं
को समझने के लिए हमने चित्रों से लैस प्रेसेन्टेशन दिखाई। इसके साथ ही
किशोर-किशोरियों को पॉस्टो एक्ट के अहम बिंदूओं की भी जानकारी दी गई।
सत्र के अगले पड़ाव में प्रतिभागियों को उनके
साथ हुए या कभी उन्होंने बाल यौन शोषण होते हुए देखा हो, को सांझा करने के लिए
आमंत्रित किया। इस दौरान एक बार फिर उन्हें सुरक्षित महसूस कराने और गोपनीयता के
नियम का पालन करने के लिए कहा गया।
“मेरे साथ तो ऐसा नहीं हुआ है लेकिन मैंने एक
आदमी को जो व्हील चेयर पर आता है, बच्चों को टॉफी देकर अपने पास बुलाते हुए देखा
है। मुझे वो ठीक नहीं लगा।”
ये कहते ही 5-6 किशोर-किशोरियों ने हामी भरी और
बताया कि उन्होंने भी उस शख्स को देखा है। एक और प्रतिभागी ने बताया, “एक दिन जब मम्मी-पापा काम
के लिए बाहर गए थे तो मैंने देखा कि एक आदमी कॉलोनी के बहुत सारे बच्चों के साथ
देखा, वो मोबाइल में कुछ गंदी वीडियो दिखा रहा था। मैंने बाद में इस बारे में अपने
माता-पिता को बताया तो उन्होंने मुझे ऐसे किसी भी शख्स से दूर रहने के लिए कहा”
बाल यौन शोषण को चुनौती देने के लिए
प्रतिभागियों को एक सेफ्टी एक्शन प्लान भरने के लिए आमंत्रित किया गया। ये एक
अनूठा तरीका है ताकि जेंडर आधारित हिंसा से लड़ने के लिए उनकी क्षमता बनाई जा सके।
इस वर्कबुक में वो कैसे इस परिस्थिति से बच सकते हैं, अगर कोई शख्स उन्हें छूने की
कोशिश करे तो वो कैसे रिएक्ट करें, किस शख्स से मदद मांगे- विश्वसानीय शख्स कौन
होता है इत्यादि के बारे में कहानियों के जरिए चर्चा की गई है।
सत्र के आखिरी पड़ाव में प्रतिभागियों को इस
मुद्दे से संबंधित सवालों को पूछने का मौका दिया गया। रोचक बात ये थी कि लड़के और
लड़कियां दोनों में आत्मविश्वास की झलक दिख रही थी, जो कह रही थी कि वो ऐसे किसी
भी घटना से निपटने के लिए तैयार हैं। कार्यशाला की समाप्ति पर हमने स्कूल के
संस्थापक और प्रिंसिपल से व्यहीलर चैयर वाले शख्स के बारे में बात की, और उन्हें
भी इस बारे में जागरुक किया ताकि अगर कोई ऐसी अनचाही घटना घटे तो वो उससे निपटने
के लिए तैयार रहे।
No comments:
Post a Comment