Friday 5 May 2017

बाल यौन शोषण- चुप्पी तोड़ना जरुरी है!

झूमती-नाचती ठुमकती हूं
खेल खेलती- शरारत करती हूं मैं
सबकी प्यारी, सबकी दुलारी
पापा-मम्मी की परी हूं मैं
घर के हर कोने पर हक जमाती
पार्क में दोस्तों के साथ धमा-चौकती भी करती
लेकिन... लेकिन...
अब कुछ भी कहने से डरती हूं
घर के उस कोने से सिहर जाती हूं
उस रात के काले स्याह अंधकार ने
पार्क की उस गली, घर के उस कमरे में
विश्वास और प्यार ने चढ़ाई बलि
अंधकार में लुप्त हुई मासूमियत
अब खामोश हूं मैं।

किशोरावस्था जीवन का वो पड़ाव है जो अलग-अलग तरह के बदलावों का समावेश है, इन बदलावों को समझने और इनसे संबंधित सवालों की उधेड़बुन में कई बार किशोर-किशोरियां भ्रमित हो जाते हैं या उन्हें समझ नहीं आता कि उनके साथ क्या हो रहा है। ऐसे में अगर उन्हें कोई उनकी मर्जी के बिना छुए, ऐसे छूने की कोशिश करे जो उन्हें असहज कर दे या फिर उनका शारीरिक शोषणा करे वो भी ऐसा शख्स जिसपर वो विश्वास करते हैं और जो उनके जीवन का हिस्सा है तो क्या परिणाम होंगे ये सोचकर भी सिहरन होती है।

हैरानी की बात ये है कि समाजिक तौर पर बाल यौन शोषण के बारे में बातचीत ही नहीं होती, अपराध के खिलाफ़ शिकायत करने की बजाय बच्चों को चुप रहने के लिए कह दिया जाता है ताकि परिवार की प्रतिष्ठा पर आंच न आए, और सबसे बुरी स्थिति वो जहां बच्चे को ये ही नहीं पता होता कि उसके साथ यौन शोषण हुआ है जो एक अपराध है।

किशोर-किशोरियों में जेंडर और यौनिकता की समझ बनाने के साथ साथ साहस का एक अहम उद्देश्य ये है कि वो किशोर-किशोरियों में बाल यौन शोषण की समझ बनाए ताकि वो इसे चुनौती देने के काबिल बनें साथ ही आने वाले जीवन में वो किसी भी तरह की जेंडर आधारित हिंसा का मुकाबला करने में सक्षम हो जाए।

इस मुद्दे की गंभीरता और अहमियत को देखते हुए प्रतिभागियों को एक बार फिर सहमति के बारे में सजग किया गया। वर्कशॉप की शुरुआत चाइल्ड लाइन की बेहतरीन फिल्म कोमल दिखाकर की गई। इसके बाद बाल यौन शोषण क्या होता है, कैसे होता है, क्या-क्या बातें बाल यौन शोषण में आती है, अगर कोई बाल यौन शोषण का शिकार बनता है तो क्या बातें ध्यान में रखनी चाहिए की जानकारी एक प्रेजेन्टेशन के जरिए दी गई।


इस जानकारी के बाद गोले में बैठे प्रतिभागियों को विश्वासपूर्ण निमंत्रण दिया गया ताकि वो हिम्मत करके बाल यौन शोषण संबंधित बात, कहानी, हादसा, आंखो देखी गोले में बांटे जो उनके साथ हुआ हो। वर्कशॉप का ये बहुत मुश्किल हिस्सा होता है, और इसलिए यहां तक पहुंचने के लिए इससे पहले 8 सत्र बनाए जाते हैं। जो किशोरियां मुस्कुराते, कानाफूसी करते हुए, हंसी ठिठोली करके और कभी कभार उधम मचाते नहीं थकती उनके चेहरे पर एक अजीब सी खामोशी थी, कुछ के चेहरे पर परेशानी, कुछ के चेहरों पर सवाल और कुछ की आंखों में वो दर्द झलक रहा था मेरा मन अंदर तक कांप गया। डर और घबराहट ने मानो मुझे जगड़ लिया हो।

झिझकते, डरते, आंखों में इशारों से अनुमति और विश्वास लेते हुए कई किशोरियों ने अपनी आपबीती सुनाई। 12 साल की लड़की ने रेपके बारे में सुना है क्योंकि उसकी गली में किसी के साथ रेप हुआ है। कई बार गली के कोने में लड़कियों के रास्ता रुकते हुए भी देखा है। कई बार उन्हें देखकर आदमियों ने हस्तमैथुन किया है, गलत तरीके से छूने की कोशिश भी की है।

इन सबके बीच बार बार दो-तीन बातों पर मैं जोर दे रही थी - 

जो कुछ भी आपके साथ हुआ उसमें आपकी कोई गलती नहीं है जो इंसान आपके साथ गलत कर रहा है वो दोषी है

अगर कोई आपको आपकी बिना मर्जी के छुए तो आप बुलंद आवाज़ में जोर से चिल्लाकर न बोलें

अपने साथ हुए बाल यौन शोषण की जानकारी एक विश्वासनीय शख्स को जरुर बताएं, तब तक बताते रहे जबतक आपको मदद नहीं मिल जाती

इन संदेशों के साथ साथ सभी प्रतिभागियों से निजी सुरक्षा पुस्तिका भरवाई गई जो उन्हें सुरक्षित और असुरक्षित स्पर्श, उससे जुड़े विचार और भावनाएं, असुरक्षित टच से निपटने के लिए क्या करना चाहिए, उदाहरण और कुछ कहानियों के जरिए बाल यौन शोषण से लड़ने की समझ बनाई। बाल यौन शोषण पर बात करना बहुत जरुरी है, बच्चे समझ नहीं पाते कि उनके साथ क्या हो रहा है, उन्हें बुरा लग सकता है पर उन्हें नहीं पता कि उन्हें क्या करना चाहिए, किससे बात करनी चाहिए, उन्हें ऐसा भी लग सकता है कि उनकी बात का कोई यकीन नहीं करेगा?  और जब इस बारे में उन्हें बाद में जानकारी होती है तो वो टूट जाते हैं, कमजोर पड़ जाते हैं। ऐसे में किशोर-किशोरियों पर विश्वास करके उनसे बात करनी चाहिए ताकि वो ये भार ये दुख पूरे जीवन न अपने साथ बांध कर रखें।





बाल यौन शोषण पर चुप्पी तोड़ना बहुत जरुरी है ताकि कोई बच्चा ऐसा महसूस न करे जैसे वो ऊपर लिखी कविता में महसूस कर रहा है।        

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